नोएडा का चर्चित GIP (ग्रेट इंडिया प्लेस मॉल) पर आज ईडी का बड़ा डंडा पड़ा है और करोड़ों की प्रॉपर्टी जप्त किया गया है। इस रैड के बाद यह सवाल उठ रहा है की आखिर Gip ED के नजर में कैसे आया और क्या अब GIP बंद होनेवाला है?
नोएडा का मशहूर मॉल GIP बहुत फेमस मॉल है और रोजाना यहां पर बड़ी संख्या में लोग घूमने और शॉपिंग करने आते है और यहां के वाटर पार्क और एम्यूजमेंट पार्क में लोग एंजॉयमेंट करने आते है। यह मॉल नोएडा के सबसे बड़े मॉल में शुमार है जिसमे तमाम बड़े ब्रांड शोरूम मौजूद है। यहां के एडवेंचर का मजा लेने के लिए बाहर से भी लोग आते है। लेकिन इस मॉल को ED ने अपने शिकंजे पर लिया है।
ईडी ने इंटरनेशनल एम्यूजमेंट लिमिटेड कंपनी की ₹291.18 करोड़ की प्रॉपर्टी को आज जप्त किया है। और यह करवाही मनी लांड्रिंग की जांच करते हुए की गई है। गुरुवार को मनी लांड्रिंग की जांच के तहत नोएडा के मशहूर GIP मॉल के साथ मनोरंजन सेवा देनेवाली एक कंपनी की ₹290 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जप्त की गई है। GIP मॉल में मौजूद unsold commercial space भी शामिल है।
ईडी ने गुरुवार को यह कहा की कंपनी इंटरनेशनल एम्यूजमेंट लिमिटेड के होल्डिंग के कंपनी पर गुरुग्राम के सेक्टर 29 और 52-A में दुकानों को शिफ्ट के वादे पर लगभग 1500 निवेशकों से 400 करोड़ से ज्यादा निवेश हासिल करने का आरोप है। हाला की NTT अपने प्रोजेक्ट को तय deadline के अंदर पूरा करने में भी नाकाम रही है। और ED ने कहा है की निवेशकों को हर महीने मिलने वाले रिटर्न का भुगतान भी नही किया गया। ईडी ने यह भी जानकारी दी है की जब्त की गई इंटरनेशनल एम्यूजमेंट लिमिटेड की 291.18 करोड़ की संपत्तियां में GIP मॉल नोएडा में 3.99 लाख वर्ग फुट से ज्यादा unsold commercial space, Adventure Island limited रोहिणी के नाम पर 45966 वर्ग फुट का कमर्शियल वर्क स्पेस और जयपुर के दौलतपुर गांव तहसील में इंटरनेशनल एम्यूजमेंट लिमिटेड एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के नाम पर 218 एकड़ जमीन शामिल है।
ईडी ने आरोप लगाया है कि इंटरनेशनल रिक्रिएशन एंड एम्यूजमेंट लिमिटेड के डायरेक्टर्स प्रमोटर्स ने निवेशकों के फंड को दूसरे संबंधित संस्थाओं के पास जमा करने और फिर सस्ते वैल्यू पर कंपनी को बेचने और निवेशकों की सभी देनदारियों से छुटकारा पाने के पहले के राजे से ₹400 करोड़ रुपए से ज्यादा की हेराफेरी की।
रिपोर्ट के मुताबिक यह आदेश 28 मई को पीएमएलए के प्रावधानों के तहत जारी की गई थी और अब संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई को अंजाम दिया गया है। मनी लांड्रिंग की जांच के दौरान ईडी को यह भी पता चला कि जिस कंपनियों की संपत्ति जब्त की गई उसने निवेशकों से जुटाए गए पैसों को निजी खातों में ट्रांसफर कर दिया है। इतना बड़ा धोखा इन्वेस्टर्स को दिया गया है।