सेबी प्रमुख माधवी पूरी बुच के मुश्किलें लगातार बढ़ती नजर आ रही है। हिडेनबर्ग की रिपोर्ट में हुए खुलासे ने बुच के लोगों के कटघरे में ला दिया जिसके बाद कांग्रेस ने भी बुच पर एक साथ कई जगह से वेतन लेने के आरोप लगाए और अब खुद SEBI के अधिकारियों ने बुच के खिलाफ पत्र लिखा है जिसे लेकर SEBI प्रमुख बुरी तरह से घिर गई है।
SEBI के प्रमुख माधबि पूरी बुच के खिलाफत SEBI अधिकारों ने वित्त मंत्रालय को कॉल फॉर रिस्पेक्ट टाइटल के साथ एक चिट्ठी लिखी है इस चिट्ठी में SEBI के तानाशाही रवाय्ये को लेकर शिकायत की है। अधिकारियों का कहेना है की SEBI प्रमुख की बैठकों में चिल्लाना डांटना और सार्वजनिक रूप से अपमानित करना आम बात हो गई है। उन्होंने बुच पर टॉक्सिक वर्क कल्चर को बढ़ावा देने की आरोप लगाए हैं।
SEBI अधिकारियों ने अपनी परेशानी जाहिर करते हुए बताया कि इस माहौल के कारण उनकी मेंटल हेल्थ काफी डिस्टर्ब हो गई है उन्होंने पहले भी इसकी शिकायत की है लेकिन इसकी कोई सुनवाई नहीं हुई जिसके बाद अब उन्होंने वित्त मंत्रालय से गुहार लगाई है। पांच पन्नों के इस चिट्ठी में SEBI के ग्रुप आधे से अधिक अधिकारियों के यानी लगभग 500 लोगों के हस्ताक्षर है। यह पत्र ऐसे वक्त पर सामने आया है जब SEBI चीफ पहले से ही अदानी घोटाले को लेकर आरोपों से घिरी हुई है।
कांग्रेस ने भी अनवर SEBI प्रमुख रहते हुए ICICI Bank से वेतन लेने के आरोप लगाए हैं। तो पूर्व भाजपा सांसद Zeel एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के अध्यक्ष सुभाष चंद्र ने भी SEBI चेयर पर्सन माधबि पूरी बुच पर पक्षपात भ्रष्टाचार और अनैतिक व्यवहार का आरोप लगाया है। देखा जाए तो माधवी पूरी बुच चौतरफा घिरी हुई है। तो सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर सरकार ने किस आधार पर यह नियुक्त की है क्या मोदी सरकार को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी।